संग्रह
पोशाक
विक्टोरिया मेमोरियल हॉल में आसाधरण वस्त्रों की एक शृंखला है जिनमें सुनहरी जड़ीवाली “चद्दर”, कढ़ाई की हुई “कांथा”, “फतह निशान”, “ढाकाई ओढ़ना” और एक “अचकन” भी है जो सन् 1857 के भारतीय महविद्रोह के सेनापति और नेता तात्या टोपे की है। ये कलाकृतियाँ न केवल उत्कृष्ट शिल्प कौशल का प्रमाण हैं बल्कि अपने काल की ऐतिहासिक हस्तियों तथा सांस्कृतिक परंपराओं से भी मार्मिक संबंध जोड़ती हैं।

कांथा की कशीदाकारी।1891में बांग्लादेश,
जशोर के मगुरा की बामा सुंदरी दास्य द्वारा बुनाई-बामा सुंदरी दास्य
म्यूजियम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रदर्शित
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तात्या टोपे की अचकन (जैकेट) औऱ बालों का गुच्छा। काले कपड़े पर सुनहरी जड़ी की कढ़ाई और लाल किनारा। सिल्क कपड़े से निर्मित। रामचंद्र पांडुरंग द्वारा पहनी गई।(1814- 18 अप्रैल 1859)- तात्या टोपे के नाम से प्रसिद्ध।
म्युजियम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रदर्शित
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दो रूखा कांथा शिल्पकला। सचित्र राजा । पूर्व जेशोर महारानी दरबार। कांथे पर अंग्रेजी में अंकित है- “द सन नेवर सेट्स इन द ब्रिटिश इम्पायर”– राजबाला दासी (हरिशंकरपुर जेशोर)।
म्युजियम्स ऑफ इंडिया की वेबसाइट पर प्रदर्शित
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